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Tech Myths 2025 – टेबल ऑफ कंटेंट्स (Table of Contents):
- Myth 1: रातभर चार्ज करना बैटरी खराब करती है
- Myth 2: ज़्यादा RAM = ज़्यादा गति डिवाइस
- Myth 3: Incognito mode का अर्थ है की कोई कुल प्राइवेसी
- Myth 4: Full signal bars = ज़्यादा internet speed
- Myth 5: Apps को close करना battery save करता है
- Myth 6: 5G सेहत के लिए खतरनाक है
- Myth 7: Macs को virus नहीं लगते
- Myth 8: ज्यादा megapixels = बेटर कैमरा
- Myth 9: केवल original charger hi safe होते हैं
- Myth 10: AI सभी jobs छीन लेगा
- Bonus Myth: ज्यादा महंगा = ज्यादा टेक
- Tech Myths से कैसे बचें
- निष्कर्ष ।
- FAQs
परिचय – क्यों 2025 में भी Tech Myths ज़िंदा हैं?
2025 में जब हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5G और स्मार्ट टेक्नोलॉजी के दौर में जी रहे हैं, तब भी Tech Myths यानी तकनीकी भ्रम लोगों के दिमाग में जगह बनाए हुए हैं। यह सवाल उठता है—आख़िर क्यों?
इसके तीन बड़े कारण हैं:
1. अधूरी जानकारी,
2. सोशल मीडिया का प्रभाव,
3. तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी।
हर दिन YouTube वीडियो, WhatsApp फॉरवर्ड्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में नए-नए “tech tips” और “हेल्थ अलर्ट्स” सामने आते हैं, जिनमें से अधिकतर बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के होते हैं। लोग बिना जांचे परखे इन पर विश्वास कर लेते हैं और यही Myths आगे फैलते हैं।
इसके अलावा, तकनीक इतनी तेजी से बदल रही है कि हर किसी के लिए हर बार अपडेट रहना आसान नहीं होता। पुराने अनुभवों के आधार पर बनाए गए ये भ्रम नए यूज़र्स तक पहुंचते हैं और एक चक्र चलता रहता है।
इसलिए ज़रूरी है:
इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे ऐसे 10 आम Tech Myths और उनके पीछे की सच्चाई—ताकि आप 2025 में एक स्मार्ट टेक यूज़र बनें, न कि भ्रमित।
Myth 1: रातभर चार्ज करना बैटरी खराब करती है –

यह सबसे सामान्य Tech Myths में से एक है जो अब तकनीकी रूप से पुराना हो चुका है। आज के स्मार्टफोन में स्मार्ट बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम होता है जो बैटरी के 100% चार्ज हो जाने पर चार्जिंग को अपने आप रोक देता है।
इसलिए, रातभर चार्ज करना आधुनिक फोनों के लिए नुकसानदायक नहीं है। हालांकि, यदि डिवाइस अत्यधिक गर्म हो जाए या आप घटिया चार्जर का उपयोग करें, तो दीर्घकालिक बैटरी हेल्थ प्रभावित हो सकती है।
अक्सर यह मिथक पुराने फीचर फोनों के ज़माने से चला आ रहा है, जिनमें ओवरचार्जिंग से बैटरी खराब हो सकती थी। लेकिन 2025 के स्मार्टफोन इस समस्या को संभालने में सक्षम हैं।
सुझाव:
- हमेशा ब्रांडेड या BIS सर्टिफाइड चार्जर का ही इस्तेमाल करें।
- अत्यधिक गर्म वातावरण में चार्जिंग से बचें।
- यदि संभव हो तो बैटरी को 20% से 80% के बीच चार्ज रखें, जिससे उसकी उम्र बढ़े।
Myth 2: ज़्यादा RAM = ज़्यादा गति डिवाइस –

यह Tech Myths अक्सर लोगों को भ्रमित करता है कि RAM जितनी ज़्यादा होगी, डिवाइस उतना ही तेज़ चलेगा। हालांकि, यह पूरी तरह से सच नहीं है। RAM केवल एक घटक है—असल प्रदर्शन प्रोसेसर (CPU), स्टोरेज की गति (SSD या eMMC), सॉफ़्टवेयर ऑप्टिमाइज़ेशन और ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) पर भी निर्भर करता है।
2025 में कई मिड-रेंज डिवाइस 6GB या 8GB RAM दे रहे हैं, जो आम यूज़र्स के लिए काफी है। यदि सिस्टम बाकी रूप से असंतुलित है (जैसे धीमा प्रोसेसर या भारी UI), तो RAM बढ़ाने से भी स्पीड में खास सुधार नहीं होगा।
यह भ्रम कई बार उन यूज़र्स से आता है जो गेमिंग या भारी टास्क करने के लिए फोन लेते हैं, लेकिन सभी यूज़ के लिए RAM उतनी अहम नहीं होती।
सुझाव:
- अपने उपयोग के अनुसार RAM चुनें—सिर्फ नंबर देखकर न खरीदें।
- बैकग्राउंड ऐप्स को मैनेज करें, लेकिन हर बार RAM साफ़ करना जरूरी नहीं।
- डिवाइस की पूरी स्पेसिफिकेशन चेक करें, न कि केवल RAM।
Myth 3: Incognito Mode का अर्थ है पूरी प्राइवेसी –

यह Tech Myths इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले अधिकांश लोगों को भ्रमित करता है। कई लोग सोचते हैं कि इन्कॉग्निटो मोड में ब्राउज़िंग करने से उनकी गतिविधियाँ पूरी तरह गुप्त रहती हैं, लेकिन यह सच नहीं है।
इन्कॉग्निटो मोड केवल आपके ब्राउज़र की लोकल हिस्ट्री, Myth 2: ज़्यादा RAM = ज़्यादा गति डिवाइस – Tech Myths #2
यह Tech Myths अक्सर लोगों को भ्रमित करता है कि RAM जितनी ज़्यादा होगी, डिवाइस उतना ही तेज़ चलेगा। हालांकि, यह पूरी तरह से सच नहीं है। RAM केवल एक घटक है—असल प्रदर्शन प्रोसेसर (CPU), स्टोरेज की गति (SSD या eMMC), सॉफ़्टवेयर ऑप्टिमाइज़ेशन और ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) पर भी निर्भर करता है।
2025 में कई मिड-रेंज डिवाइस 6GB या 8GB RAM दे रहे हैं, जो आम यूज़र्स के लिए काफी है। यदि सिस्टम बाकी रूप से असंतुलित है (जैसे धीमा प्रोसेसर या भारी UI), तो RAM बढ़ाने से भी स्पीड में खास सुधार नहीं होगा।
यह भ्रम कई बार उन यूज़र्स से आता है जो गेमिंग या भारी टास्क करने के लिए फोन लेते हैं, लेकिन सभी यूज़ के लिए RAM उतनी अहम नहीं होती।
सुझाव:
- अपने उपयोग के अनुसार RAM चुनें—सिर्फ नंबर देखकर न खरीदें।
- बैकग्राउंड ऐप्स को मैनेज करें, लेकिन हर बार RAM साफ़ करना जरूरी नहीं।
- डिवाइस की पूरी स्पेसिफिकेशन चेक करें, न कि केवल RAM।
कुकीज़ और कैश को सेव नहीं करता। इसका यह मतलब नहीं है कि आपके ISP, वेबसाइट ओनर्स, या ऑफिस नेटवर्क आपको ट्रैक नहीं कर सकते। वे अब भी आपकी गतिविधियों को देख सकते हैं।
2025 में भी, बहुत से लोग सोचते हैं कि इन्कॉग्निटो मोड उन्हें हैकिंग या ट्रैकिंग से बचाता है, लेकिन यह सिर्फ एक सीमित स्तर की प्राइवेसी देता है। ऑनलाइन सेफ रहने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा ज़रूरी है।
सुझाव:
- इन्कॉग्निटो मोड का प्रयोग केवल व्यक्तिगत ब्राउज़िंग के लिए करें (जैसे shared डिवाइस पर)।
- पूरी प्राइवेसी के लिए VPN, HTTPS वेबसाइट्स और ट्रैकर ब्लॉकर का प्रयोग करें।
- साइबर कैफ़े या सार्वजनिक WiFi पर कभी भी संवेदनशील जानकारी न डालें।
Myth 4: Full Signal Bars = तेज़ इंटरनेट स्पीड –

यह Tech Myths आज के डिजिटल युग में सबसे आम भ्रमों में से एक है। अक्सर लोग मानते हैं कि अगर मोबाइल पर फुल नेटवर्क सिग्नल दिख रहा है, तो इंटरनेट की स्पीड भी तेज़ होगी। लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है।
फुल सिग्नल का मतलब है कि आपका डिवाइस टावर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, लेकिन इंटरनेट स्पीड कई अन्य चीजों पर निर्भर करती है—जैसे नेटवर्क ट्रैफिक, बैंडविड्थ, टावर की क्षमता और आपके प्लान की स्पीड लिमिट।
उदाहरण के लिए, अगर बहुत सारे लोग एक ही टावर से एक साथ डेटा इस्तेमाल कर रहे हैं, तो स्पीड धीमी हो सकती है, चाहे आपके पास फुल सिग्नल क्यों न हो। इसके अलावा, 4G या 5G की स्पीड भी लोकेशन और नेटवर्क प्रोवाइडर पर निर्भर करती है।
सुझाव:
- इंटरनेट स्पीड की जांच के लिए Speedtest जैसे ऐप्स का इस्तेमाल करें।
- धीमी स्पीड के समय फ्लाइट मोड ऑन/ऑफ करके नेटवर्क रीसेट करें।
- ज़रूरत पड़ने पर नेटवर्क प्रोवाइडर से प्लान या कवरेज की जानकारी लें।
Myth 5: Apps को बंद करना बैटरी बचाता है –

यह बहुत ही आम Tech Myths है कि अगर आप बार-बार ऐप्स को बैकग्राउंड से क्लोज़ करते रहेंगे तो बैटरी बचती है। लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत हो सकती है।
जब आप किसी ऐप को पूरी तरह बंद करते हैं और फिर उसे दोबारा खोलते हैं, तो सिस्टम को उस ऐप को फिर से RAM में लोड करना पड़ता है, जिससे ज़्यादा प्रोसेसिंग पावर और बैटरी लगती है। वहीं, अगर ऐप बैकग्राउंड में बना रहता है, तो वह सिस्टम-ऑप्टिमाइज़ तरीके से सीमित रिसोर्स का ही उपयोग करता है।
2025 में एंड्रॉइड और iOS दोनों में बैटरी और ऐप मैनेजमेंट इतना स्मार्ट हो गया है कि सिस्टम खुद तय करता है कि किस ऐप को कब बंद करना है।
सुझाव:
- हर थोड़ी देर में ऐप्स को मैन्युअली क्लोज़ करने की ज़रूरत नहीं है।
- सेटिंग्स में जाकर बैटरी यूसेज चेक करें—अगर कोई ऐप ज़्यादा बैटरी खा रहा है, तभी उसे फोर्स स्टॉप करें।
- बैटरी बचाने के लिए Low Power Mode या Battery Saver का उपयोग करें।
Myth 6: 5G सेहत के लिए खतरनाक है –

जब से 5G तकनीक आई है, तब से लोगों में यह Tech Myths तेजी से फैला कि इससे रेडिएशन बढ़ता है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। सोशल मीडिया पर इस भ्रम को और हवा दी गई, जिससे कई लोग बिना तथ्य जाने डर गए।
असल में, 5G एक वायरलेस कम्युनिकेशन तकनीक है जो रेडियो वेव्स के ज़रिए काम करती है—ठीक वैसे ही जैसे 2G, 3G और 4G काम करते हैं। इनका उपयोग पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों (जैसे WHO) और भारतीय टेलीकॉम रेगुलेटरी संस्थाओं द्वारा नियंत्रित और प्रमाणित होता है।
अब तक के वैज्ञानिक अध्ययनों में ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है जिससे कहा जा सके कि 5G रेडिएशन से इंसानों को कोई गंभीर स्वास्थ्य खतरा है। भारत समेत दुनिया के कई देशों में 5G तकनीक को पूरी तरह से सुरक्षित माना गया है।
सुझाव:
- इंटरनेट पर वायरल झूठी खबरों से बचें और हमेशा भरोसेमंद स्रोतों से जानकारी लें।
- 5G टॉवर या सिग्नल से डरने की ज़रूरत नहीं है — यह भी बाकी नेटवर्क्स की तरह ही सुरक्षित है।
- अगर चिंता हो तो WHO, TRAI और DoT जैसी संस्थाओं की रिपोर्ट्स पढ़ें।
Myth 7: Macs को वायरस नहीं लगते –

यह Tech Myths लंबे समय से चला आ रहा है कि Apple के Mac कंप्यूटर को वायरस या मैलवेयर नहीं लगते। कई लोग मानते हैं कि macOS पूरी तरह से सुरक्षित है और उसे एंटीवायरस की ज़रूरत नहीं होती। लेकिन 2025 तक आते-आते ये धारणा ग़लत साबित हो चुकी है।
सच ये है कि मैक सिस्टम्स में वायरस और साइबर अटैक का जोखिम कम हो सकता है, लेकिन यह “शून्य” नहीं है। जैसे-जैसे Apple की लोकप्रियता बढ़ी, वैसे-वैसे साइबर अपराधियों ने मैक यूज़र्स को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया। कई बार phishing, adware और spyware जैसे खतरे Mac यूज़र्स को भी प्रभावित करते हैं।
macOS में बिल्ट-इन सुरक्षा सुविधाएँ होती हैं, लेकिन यदि आप संदिग्ध वेबसाइट्स ब्राउज़ करते हैं, पायरेटेड सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करते हैं या किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करते हैं, तो आपका Mac भी संक्रमित हो सकता है।
सुझाव:
- Mac पर भी एंटीवायरस या anti-malware tool इस्तेमाल करें।
- सिर्फ आधिकारिक ऐप स्टोर से ही ऐप्स डाउनलोड करें।
- संदिग्ध ईमेल और वेबसाइट्स से सावधान रहें — Mac हो या Windows, सतर्कता ज़रूरी है।
Myth 8: ज़्यादा Megapixels = बेहतर कैमरा –

यह Tech Myths मोबाइल कैमरा खरीदने वाले अधिकतर लोगों को भ्रमित करता है। लोग अक्सर मानते हैं कि 64MP या 108MP कैमरा होना मतलब शानदार फोटो क्वालिटी, जबकि सच्चाई ये है कि कैमरा की असली क्वालिटी सिर्फ मेगापिक्सल पर निर्भर नहीं करती।
Megapixel का मतलब सिर्फ ये है कि एक फोटो में कितने लाख पिक्सल होंगे। लेकिन एक अच्छी तस्वीर के लिए और भी कई फैक्टर ज़रूरी होते हैं—जैसे सेंसर का साइज, लेंस की क्वालिटी, ऑप्टिकल इमेज स्टेबिलाइजेशन (OIS), प्रोसेसिंग चिप और सॉफ़्टवेयर ट्यूनिंग।
उदाहरण के लिए, iPhone और Pixel जैसे फोनों में मेगापिक्सल कम होते हुए भी वे DSLR जैसी शानदार फोटो क्लिक करते हैं। वहीं, सस्ते फोनों में भले ही 108MP हो, लेकिन अगर सेंसर और प्रोसेसिंग घटिया है, तो फोटो धुंधली या ग्रेनी आ सकती है।
सुझाव:
- कैमरा क्वालिटी का मूल्यांकन सैंपल फोटो, सेंसर ब्रांड और रिव्यूज़ से करें, सिर्फ MP देखकर नहीं।
- छोटे सेंसर के साथ ज़्यादा मेगापिक्सल = कम रोशनी में खराब फोटो।
- Night mode, HDR और वीडियो स्थिरता जैसे फीचर्स पर भी ध्यान दें।
Myth 9: केवल Original चार्जर ही सुरक्षित होते हैं –

यह Tech Myths बहुत लोगों में डर पैदा करता है कि अगर आपने अपने स्मार्टफोन को केवल उसी ब्रांड के चार्जर से चार्ज नहीं किया, तो बैटरी फट सकती है या डिवाइस खराब हो जाएगा। लेकिन सच्चाई थोड़ी अलग है।
असल में, “original” चार्जर का मतलब होता है ब्रांड के द्वारा बनाया गया चार्जर — लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि केवल वही सुरक्षित है। बाज़ार में कई ब्रांडेड थर्ड पार्टी चार्जर (जैसे Anker, Belkin, या Boat जैसे BIS-certified चार्जर) भी बिल्कुल सुरक्षित होते हैं, बशर्ते वो अच्छे क्वालिटी के हों और भारतीय मानकों (IS, BIS) के अनुसार सर्टिफाइड हों।
खतरनाक वे चार्जर होते हैं जो बिना किसी प्रमाण पत्र के, सस्ते दामों पर लोकल मार्केट से मिलते हैं। इनमें ओवरवोल्टेज या खराब वायरिंग के कारण फटने या डिवाइस को नुकसान पहुँचाने का खतरा ज़्यादा होता है।
सुझाव:
- केवल BIS-certified या भरोसेमंद ब्रांड्स के चार्जर ही इस्तेमाल करें, चाहे वो थर्ड-पार्टी ही क्यों न हों।
- लोकल, बिना नाम वाले या बेहद सस्ते चार्जर से बचें।
- फ़ास्ट चार्जिंग के लिए चार्जर और केबल दोनों का स्पेसिफिकेशन देखना ज़रूरी है।
Myth 10: AI सभी नौकरियां छीन लेगा –

यह Tech Myths आज के समय में हर किसी को चिंता में डालता है। जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से बढ़ रहा है, कई लोग मानते हैं कि आने वाले कुछ वर्षों में सभी इंसानी नौकरियां खत्म हो जाएंगी। लेकिन यह सिर्फ आधा सच है।
AI का मकसद इंसानों को पूरी तरह बदलना नहीं, बल्कि उनके काम को आसान बनाना और repetitive tasks को automate करना है। 2025 में हम देख रहे हैं कि AI ने customer support, डेटा एनालिसिस, और कंटेंट जनरेशन जैसे क्षेत्रों में बदलाव लाया है, लेकिन साथ ही AI ने नई नौकरियां भी पैदा की हैं—जैसे prompt engineers, AI ethics experts, और machine learning trainers।
इसके अलावा, रचनात्मक, निर्णय लेने वाले, और मानवीय भावनाओं से जुड़े काम आज भी केवल इंसान ही कर सकते हैं। AI एक टूल है, इंसान का विकल्प नहीं।
सुझाव:
- AI को अपने करियर का दुश्मन नहीं, बल्कि एक सहायक मानें।
- नई टेक्नोलॉजी से जुड़ी स्किल्स सीखें, जैसे Python, Data Analysis, या Prompt Design।
- soft skills, leadership और critical thinking जैसे क्षेत्रों पर ध्यान दें—AI इनकी नकल नहीं कर सकता।
Bonus Myth: महंगी टेक्नोलॉजी = बेहतर टेक्नोलॉजी –

यह एक आम Tech Myths है कि जो चीज़ महंगी है, वही सबसे बेहतर है। खासकर गैजेट्स की दुनिया में लोग मानते हैं कि जितना महंगा फोन, लैपटॉप या कैमरा होगा, उतना ही उसका परफॉर्मेंस बढ़िया होगा। लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है।
महंगी टेक्नोलॉजी में अक्सर कई ऐसे फीचर्स होते हैं जो एक आम यूज़र के लिए ज़रूरी नहीं होते—जैसे 8K वीडियो रिकॉर्डिंग, 1TB स्टोरेज, या सुपर-फास्ट प्रोसेसर। वहीं, कुछ मिड-रेंज डिवाइसेज़ भी शानदार परफॉर्मेंस और वैल्यू फॉर मनी ऑफर करते हैं।
ब्रांड वैल्यू, डिज़ाइन और मार्केटिंग में पैसा जोड़कर ही प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ाई जाती हैं। जरूरी नहीं कि 70,000 रुपये का फोन 30,000 रुपये के फोन से हमेशा बेहतर हो।
सुझाव:
- अपने उपयोग के हिसाब से टेक्नोलॉजी चुनें, न कि प्राइस टैग देखकर।
- फीचर्स और रिव्यू की तुलना करें—YouTube या tech blogs से मदद लें।
- ब्रांड के नाम से ज़्यादा यूज़र एक्सपीरियंस पर ध्यान दें।
Tech Myths से कैसे बचें –
आज के डिजिटल युग में Tech Myths बड़ी तेजी से फैलते हैं—WhatsApp फॉरवर्ड, यूट्यूब वीडियो, और सोशल मीडिया पोस्ट्स से। लेकिन इन भ्रमों से बचना उतना मुश्किल नहीं है, जितना लगता है। इसके लिए आपको सिर्फ कुछ सरल आदतें अपनानी होंगी।
Tech Myths अक्सर अधूरी जानकारी या पुराने अनुभवों के आधार पर बनाए जाते हैं, जिन्हें लोग बिना सोचे-समझे शेयर कर देते हैं। लेकिन 2025 में तकनीक इतनी विकसित हो चुकी है कि अब हर अफवाह का खंडन तथ्यों से किया जा सकता है।
सुझाव:
- हमेशा भरोसेमंद स्रोतों (जैसे The Verge, GSMArena, BIS, और सरकारी पोर्टल्स) से जानकारी लें।
- किसी भी Tech Myth को मानने से पहले दो या तीन अलग-अलग स्रोतों से जांचें।
- YouTube शॉर्ट्स या TikTok जैसे प्लेटफॉर्म पर देखे गए किसी भी ‘हैक’ या दावा को तुरंत सच न मानें।
- दोस्तों और परिवार को भी सही जानकारी देकर Tech Myths फैलने से रोकें।
- Reddit, Quora, या फोरम्स पर विशेषज्ञों की राय पढ़ें—लेकिन आलोचनात्मक सोच बनाए रखें।
निष्कर्ष – 2025 में एक स्मार्ट टेक यूज़र कैसे बनें
2025 की टेक्नोलॉजी तेज़ी से बदल रही है—AI, 5G, स्मार्टफोन, और डेटा प्राइवेसी जैसे विषय हर दिन नई चर्चाएं ला रहे हैं। ऐसे समय में Tech Myths आपको गुमराह कर सकते हैं, पैसे और समय दोनों का नुकसान कर सकते हैं।
इसलिए आज एक स्मार्ट टेक यूज़र बनने का मतलब है सिर्फ डिवाइस चलाना नहीं, बल्कि तकनीक को समझदारी से अपनाना। जरूरी नहीं कि हर वायरल वीडियो, हर WhatsApp मैसेज या हर दोस्त की सलाह सच्चाई हो।
सही जानकारी का चुनाव, तकनीकी सोच और लगातार अपडेट रहना आपको भीड़ से अलग खड़ा करता है।
अंतिम टिप्स:
- टेक्नोलॉजी सीखते रहें, लेकिन अंधविश्वास न पालें।
- हर नई चीज़ को अपनाने से पहले उसके फायदे और नुकसान दोनों समझें।
- सोशल मीडिया पर दिखी हर “Tech Tip” या “Warning” पर भरोसा करने से पहले तथ्यों की जांच करें।
अगर आप इस लेख को पढ़कर एक भी Tech Myth से बच सके, तो समझिए आप अब टेक्नोलॉजी के असली खिलाड़ी हैं।
FAQs – Tech Myths 2025 से जुड़े सामान्य सवाल
Q1. क्या रातभर चार्ज करने से फोन की बैटरी जल्दी खराब हो जाती है?
उत्तर: नहीं, 2025 के स्मार्टफोन में स्मार्ट चार्जिंग सिस्टम होता है जो 100% चार्ज होते ही पावर सप्लाई रोक देता है। फिर भी, गर्म वातावरण या घटिया चार्जर से बैटरी लाइफ प्रभावित हो सकती है।
Q2. क्या ज्यादा RAM मतलब फोन तेज चलेगा?
उत्तर: हमेशा नहीं। RAM के साथ-साथ प्रोसेसर, स्टोरेज स्पीड और सॉफ़्टवेयर ऑप्टिमाइजेशन भी परफॉर्मेंस को प्रभावित करते हैं। केवल RAM देखकर फोन चुनना गलत हो सकता है।
Q3. क्या Incognito Mode में ब्राउज़िंग पूरी तरह प्राइवेट होती है?
उत्तर: नहीं। यह केवल लोकल हिस्ट्री और कुकीज सेव नहीं करता। ISP, ऑफिस नेटवर्क या वेबसाइट्स आपकी एक्टिविटी देख सकते हैं।
Q4. क्या 5G रेडिएशन सेहत के लिए नुकसानदायक है?
उत्तर: अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो 5G को खतरनाक साबित करता हो। यह उतना ही सुरक्षित है जितना अन्य नेटवर्क्स (जैसे 4G)।
Q5. क्या Mac को वायरस नहीं लगते?
उत्तर: यह एक पुराना मिथक है। अब Mac भी वायरस, malware और phishing अटैक्स के शिकार हो सकते हैं। सतर्क रहना ज़रूरी है।
Q6. क्या सिर्फ original charger ही सही होते हैं?
उत्तर: नहीं, कई BIS-certified ब्रांडेड चार्जर (जैसे Anker, Boat, आदि) भी सुरक्षित होते हैं। बस लोकल और uncertified चार्जर से बचें।
Q7. क्या AI सभी नौकरियां छीन लेगा?
उत्तर: नहीं। AI repetitive tasks में मदद करता है लेकिन साथ ही नई नौकरियों और स्किल्स को भी जन्म देता है। इंसानी रचनात्मकता और निर्णय लेने की क्षमता अभी भी महत्वपूर्ण है।